वेलेंटाइन डे आते ही छोटू की आँखों में एकख़ुशी की लहर दौड़ जाती थी !
मंदिर के साइड से लगे दुकान पेकाम करने वाला छोटू हर बार की तरह इस बार भी खूब सारे गुलाब की पंखुड़िया खरीद लाया था ! छोटू को ये नहीं पता था की वेलेंटाइन डेहोता क्या है ? पर ये जरूर पता था उसे कि आज दस का बिकने वाला गुलाब पच्चास में बेचेगा ! वह सुबह से दौड़ भाग में लगा था इस उम्मीद में कि आज अच्छी कमाई कर लेगा वो..दो तीन घंटे में उसके सारे गुलाब बिक गए ! उसने जल्दी से पैसो का गुना भाग करके पाँच सौ अलग निकल लिया !अब फुर्ती से भागकर सेठ के पासपंहुचा उसकी उधारी चुकाई ! और दनदनाता हुआ बाजार…
“बूढ्ढे – बुढ्ढी की नोंक-झोंक”
काश बुढापे की यह नोक झोंक हर किसी की किस्मत में लिखी होती ईश्वर ने।इन 60-65 साल के अंकल आंटी का झगड़ा ही ख़त्म नहीं होता… एक बार के लिए मैंने सोचा अंकल और आंटी से बात करूं क्यों लड़ते हैं हरवक़्त, आख़िर बात क्या है… फिर सोचा मुझे क्या, मैं तो यहाँ मात्र दो दिन के लिए ही तो आया हूँ… मगर थोड़ी देर बाद आंटी की जोर-जोर से बड़बड़ाने की आवाज़ें आयीं तो मुझसे रहा नहीं गया… ग्राउंड फ्लोर पर गया मैं, तो देखा अंकल हाथ में वाइपर और पोंछा लिए खड़े थे… मुझे देखकर मुस्कराये और फिर फर्श की सफाई में लग गए… अंदर किचन से आंटी के बड़बड़ाने की आवाज़ें अब भी रही थीं… कितनी बार मना किया है… फर्श…
લેણદેણ ના સંબંધો. એક પ્રેરણાત્મક જીવનપ્રસંગ..
રેલવે ની પ્લેટ ફોર્મ ટિકિટ લઈ હું ઉતાવળે ચાલતો હતો કારણ કે મારી પાછળ એક સાત આઠ વર્ષ નો ભિખારી જેવો બાળક એ સાહેબ……એ સાહેબ……કહી એ પાછળ દોડતો હતો. હું મારી સ્પીડ વધારતો જતો હતો તેમ તે બાળક પણ ઓ…..ઓ સાહેબ ઉભા તો રહો.. કહી બુમ પાડે જતો હતો. હું મનમાં ખિજાતો, ગાળો આપતો હતો આ ભિખારી ની જાત એક ને આપો તો દસ પાછળ પડે. હું થાકી ને ઉભો રહી ગયો અને જોર થી બોલ્યો ચલ અહીં થી જાવું છે કે પોલીસ ને બોલવું ??ક્યાર નો સાહેબ, સાહેબ કરે છે લે આ ૧૦ રૂપિયા હવે જતો રહેજે.. મેં પોકેટ માંથી પાકીટ કાઢી ૧૦ ની નોટ કાઢવા પ્રયત્ન કર્યો, પણ…
हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी थी..??
🙏हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी थी ..??जानिए हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी रही होगी उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं की रात्रि को 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक लक्ष्मण जी एवं मेघनाद का युद्ध हुआ था। मेघनाद द्वारा चलाए गए बाण से लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी लगभग रात को 12:00 बजे के करीब और वो मूर्छित हो गए थे। रामजी को लक्ष्मण जी मूर्छा की जानकारी मिलना फिर दुखी होने के बाद चर्चा जे उपरांत विभीषणजी के कहने से हनुमान जी सुषेण वैद्य को लंका से लेकर आए होंगे 1 घंटे में अर्थात 1:00 बजे के करीबन। सुषेण वैद्य ने जांच करके बताया होगा…